अमीर ख़ुसरो के अनमोल दोहे - 3

गोल मटोल और छोटा मोटा, हरदम वह जमी पर लोटा।

खुसरो कहे नहीं है झूटा, जो ना बूझे अकिल का खोटा॥1॥


रैन बिना जग दुखी और दुखी चन्द्र बिन रैन।

तुम बिन साजन मैं दुखी और दुखी दरस बिन नैंन॥2॥


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