खीर पकायी जतन से, चरखा दिया जला।
आया कुत्ता खा गया, तू बैठी ढोल बजा॥1॥
खुसरो सरीर सराय है, क्यों सोवे सुख चैन।
कूच नगारा साँस का, बाजत है दिन रैन॥2॥
चकवा चकवी दो जने इन मत मारो कोय।
ये मारे करतार के रैन बिछोया होय॥3॥
संतों से निंदा करे, रखे पर नारी से हेत।
बेनर ऐसे जायँगे, जैसे रेही का खेत॥4॥
सोना-लेने पीऊ गए, सूना कर गये देस।
सोना मिला न पीऊ फिरे, रूपा हो गये केस॥5॥
रैनी चढ़ी रसूल की, सो रंग मौला के हाथ।
जिसके कपरे रंग दिए, सो धन धन वाके भाग॥6॥
खुसरो और पी एक हैं, पर देखन में दोय।
खुसरो और पी एक हैं, पर देखन में दोय॥7॥
भीतर चिलमन बाहर चिलमन, बीच कलेजा धड़के।
अमीर ख़ुसरो यों कहे, वह दो दो अंगुल सरके॥8॥
खुसरो सोई पीर है, जो जानत पर पीर।
जो पर पीर न जानई, सो काफ़िर-बेपीर॥9॥
नर से पैदा होवे नार, हर कोइ उससे रखे प्यार।
एक ज़माना उसको खावे, ख़ुसरो पेट में वह ना जावे॥10॥