बखना के अनमोल दोहे

बखना हम तो कहेंगे, रीस करो मत कोई।

माया अरु स्वामी पणी, दोइ-दोई बात न होइ॥1॥


दूधां न्हावो, पूतां फलो, समर्थ भरो भंडार।

बखना ताकी धन्य घड़ी, साध जिमावैं द्वार॥2॥


जा घर साधु संचरै, रुचि कर भोजन लेइ।

बखना ताके भवन की, नौ ग्रह चौकी देइ॥3॥


ढूंढै दीप पतंग नै, तो वखनां विरद लै जाई।

दीपक मांहै जोति व्है, तो घणां मिलैगा आई॥4॥


जिहुं विरिया यह सब हुआ, सो हम किया विचार।

बखना वरियां खुशी की, करता सिरजनहार॥5॥


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