ध्रुवदासजी सहारनपुर के रहने वाले थे। इनका जन्म सं. १६२२ माना जाता है। अल्प वय में ही गृहस्थ से विरक्त होकर ये वृन्दावन में वास करने लगे थे। आरम्भ से इनका एक ही मनोरथ था कि मैं कृपाभिसिक्त वाणी से प्रेम-स्वरूप श्री श्यामा-श्याम के अद्भुत, अखंड प्रेम-विहार का वर्णन करूँ।
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