भूखा पेट न जानता क्या है धर्म-अधर्म।
बेच देय संतान तक, भूख न जाने शर्म॥1॥
आँखों का पानी मरा हम सबका यूँ आज।
सूख गये जल स्रोत सब इतनी आयी लाज॥2॥
हिन्दी, हिन्दू, हिन्द ही है इसकी पहचान।
इसीलिए इस देश को कहते हिन्दुस्तान॥3॥
बुरे दिनों में कर नहीं कभी किसी से आस।
परछाई भी साथ दे, जब तक रहे प्रकाश॥4॥
जब से वो बरगद गिरा, बिछड़ी उसकी छाँव।
लगता एक अनाथ-सा सबका सब वो गाँव॥5॥
बिना दबाये रस न दें ज्यों नींबू और आम।
दबे बिना पूरे न हों त्यों सरकारी काम ॥6॥
मौसम कैसा भी रहे कैसी चले बयार।
बड़ा कठिन है भूलना पहला-पहला प्यार॥7॥