अनमोल दोहे
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अलखदास के अनमोल दोहे
मूए ते जिउ जाय जहाँ, जीवत ही लै राखो तहाँ।
जियते जियरे जो कोऊ मुआ, सोई खेलै परम निसंक हुआ॥1॥
अलखदास
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