गुरुदत्त सिंह भूपति के अनमोल दोहे

गुरुदत्त सिंह भूपति अमेठी के राजा थे। ये रीति काल के प्रसिद्ध कवियों में गिने जाते थे। भूपति ने संवत 1791 में शृंगार के दोहों की एक 'सतसई' बनाई थी। इनके पिता राजा हिम्मतबहादूर सिंह स्वयं कवि एवं कवियों के आश्रयदाता थे।

घूँघट पट की आड़ दै, हँसति जबै वह दार।

ससिमंडल ते कढ़ति, छनि जनु पियूष की धार॥1॥


भए रसाल रसाल हैं, भरे पुहुप मकरंद।

मानसान तोरत तुरत, भ्रमत भ्रमर मदमंद॥2॥


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