दुलह के अनमोल दोहे

दूलह रीतिकाल के कवि हैं। ये कवि कालिदास त्रिवेदी के पौत्र और उदयनाथ त्रिवेदी 'कवींद्र' के पुत्र थे।

जो या कंठाभरण को, कंठ करै चित लाय।

सभा मध्य सोभा लहै, अलंकृती ठहराय॥1॥


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