बाबा फरीद के अनमोल दोहे

फरीदा खाकु न निंदीऐ, खाकू जेडु न कोइ।

जीवदिआ पैरा तलै, मुइआ उपरि होइ॥1॥


कागा सब तन खाइयो, चुन-चुन खाइयो मांस।

दोइ नैना मत खाइयो, पिया मिलन की आस॥2॥


जो तैं मारण मुक्कियाँ, उनां ना मारो घुम्म।

अपनड़े घर जाईए, पैर तिनां दे चुम्म॥3॥


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