बैरीसाल के अनमोल दोहे

बैरीसालजी फतेहपुर जिले के एक ब्राह्मण वंश में 17191 में पैदा हुये थे।

बिरह तई लखि नरदई, मारत नहीं सकात।

मार नाम बिधि ने कियो, यहै जानि जिय बात॥1॥


अलि ये उडगन अगिनि कन, अंक धूम अवधारि।

मानहु आवत दहन ससि, लै निज संग दवारि॥2॥


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