भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के अनमोल दोहे - 1

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (९ सितंबर १८५०-७ जनवरी १८८५) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह

जो हरि सोई राधिका, जो शिव सोई शक्ति।

जो नारी सोई पुरुषयाम, कछु न विभक्ति॥1॥


है इत लाल कपोल ब्रत कठिन प्रेम की चाल।

मुख सों आह न भाखिहैं निज सुख करो हलाल॥2॥


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